लक्ष्मी प्रद कुबेर साधना
Article courtesy: GURUTVA JYOTISH Monthly E-Magazine November-2018
लेख सौजन्य: गुरुत्व ज्योतिष मासिक ई-पत्रिका (नवम्बर-2018)
हिन्दू धर्म में धन कि देवी लक्ष्मी एवं धन के देवता कुबेर माने जाते हैं। इस लिये कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी (धनतेरस) एवं दीपावली पर मां लक्ष्मी के साथ धनके देवता एवं नव निधिओं के स्वामी कुबेर कि पूजा-अर्चना कि जाती हैं। लक्ष्मी एवं कुबेर कि पूजा से व्यक्ति कि समस्त भौतिक मनोकामनाएं पूर्ण होकर धन-पुत्र इत्यादि कि प्राप्ति होती हैं। क्योकि आज के भौतिकता वादी युग में मानव जीवन का संचालन सुचारु रुप से चल सके इस लिये अर्थ(धन) सबसे महत्व पूर्ण साधन हैं। अर्थ(धन) के बिना मनुष्य जीवन दुःख, दरिद्रता, रोग, अभावों से पीडित होता हैं। अर्थ(धन) से युक्त मनुष्य जीवन में समस्त सुख-सुविधाएं भोगता हैं।
मां महालक्ष्मी के साथ कुबेर का पूजन करने का विशेष महत्व हमारे शास्त्रों मे वर्णित हैं।
कुबेर दशो दिशाओं के दिक्पालों में से एक उत्तर दिशा के अधिपति देवता हैं। कुबेर मनुष्य कि सभी भौतिक कामनाओं को पूर्ण कर धन वैभव प्रदान करने में समर्थ देव हैं। इसलिए कुबेर कि पूजा-अर्चना से उनकी प्रसन्नता प्राप्त कर मनुष्य सभी प्रकार के वैभव(धन) प्राप्त कर लेता हैं। धन त्रयोदशी एवं दीपावली पर कुबेर कि विशेष पूजा-अर्चना कि जाती हैं जो शीघ्र फल प्रदान करने वाली मानी जाती हैं। जो मनुष्य धन प्राप्ति कि कामना करते हैं, उनके लिये प्राण-प्रतिष्ठित कुबेर यंत्र श्रेष्ठ हैं। व्यापार-धन-वैभव में वृद्धि, सुख शांति कि प्राप्ति हेतु कुबेर यंत्र श्रेष्ठ हैं।
धनतेरस, दीपावली के दिन अपने पूजा स्थान में कुबेर यंत्र स्थापित करें।
अखंडित कुबेर यंत्र स्वर्ण, रजत, ताम्र पत्र निर्मित हो, तो अति उत्तम यदि उपलब्ध न हो, तो भोजपत्र, कागज पर निर्मित कर पूजन सकते हैं।
यंत्र स्थापना विधि:
प्रात:काल स्नानादि से निवृत होकर उत्तर-पूर्व कि और मुख करके स्वच्छ आसन पर बैठें। अपने सामने पूजन सामग्री एवं माला व अखंडित कुबेर यंत्र को एक लकडी कि चोकी (बाजोट) पर रख दें। सर्व प्रथम आचमन प्राणायाम करके संकल्पपूर्वक गणेशाधि देवताओं का ध्यान करके उनका पूजन करें, फिर किसी ताम्र पात्र में कुबेर यंत्र को रखकर कुबेर का ध्यान करें।
ध्यान मंत्र
मनुजवाह्य विमानवरस्थितं गुरूडरत्नानिभं निधिनाकम्। शिव संख युकुतादिवि भूषित वरगदे दध गतं भजतान्दलम्।।
मनुजवाह्य विमानवरस्थितं गुरूडरत्नानिभं निधिनाकम्। शिव संख युकुतादिवि भूषित वरगदे दध गतं भजतान्दलम्।।
ध्यान के पश्चयात नीचे दिये मंत्र में से किसी एक मंत्र का 1,3,5,7,11,21 माला यथाशक्ति माला जप करें।
कुबेर मंत्र-
अष्टाक्षर मंत्र- ॐ वैश्रवणाय स्वाहा:
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षोडशाक्षर मंत्र- ॐ श्री ऊँ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वितेश्वराय नम:।
षोडशाक्षर मंत्र- ॐ श्री ऊँ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वितेश्वराय नम:।
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पंच त्रिंशदक्षर मंत्र- ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याथिपतये धनधान्यासमृद्धि दोहि द्रापय स्वाहा।
पंच त्रिंशदक्षर मंत्र- ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याथिपतये धनधान्यासमृद्धि दोहि द्रापय स्वाहा।
मंत्र जप समाप्ती के पश्चयात यंत्र को अपने पूजन स्थान में स्थापीत करके प्रतिदिन धूप-दीप इत्यादी से पूजन कर प्रतिदिन संभव होतो कम से कम एक माला जप करें। प्रतिदिन जप करने से अधिक लाभ प्राप्त होता हैं।
GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE NOVEMBER-2018
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लेख सौजन्य: गुरुत्व ज्योतिष मासिक ई-पत्रिका (नवम्बर-2018)
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